मोहम्मद यूनुस को PM मोदी की चिट्ठी, याद दिलाया 1971 का इतिहास, मुलाकात की वेटिंग में लगे

नई दिल्ली

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की राह देख रहे बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को एक खास चिट्ठी मिली है. ये चिट्ठी प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस पर लिखी है. बांग्लादेश अपना स्वतंत्रता दिवस 26 मार्च को मनाता है. यह दिन 1971 में उस ऐतिहासिक क्षण को बताता है, जब भारत की सैन्य सहायता के बदौलत बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बना था.

पीएम मोदी ने इस चिट्ठी में इतिहास का जिक्र किया और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की अटूट भावना को भारत-बांग्लादेश के मजबूत संबंधों की नींव बताया, और सूक्ष्म रूप से बांग्लादेश को उसकी स्थापना में भारत की भूमिका की याद दिलाई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पत्र में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का जिक्र उस समय किया है जब भारत के इस पड़ोसी देश में बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है.

बांग्लादेश में पिछले साल 5 अगस्त को कथित क्रांति के बाद शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद शेख मुजीबुर्रहमान से जुड़े प्रतीकों, चिह्नों पर हमले हुए हैं.

बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग द्वारा साझा किये गए संदेश में PM मोदी ने बांग्लादेश के लोगों को शुभकामनाएं देते हुए लिखा है, "यह दिन हमारे साझा इतिहास और बलिदान का प्रमाण है, जिसने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की नींव रखी है."

दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को स्वीकार करते हुए उन्होंने आगे कहा, "बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की भावना हमारे संबंधों के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है, जो कई क्षेत्रों में फली-फूली है और हमारे लोगों को ठोस लाभ पहुंचा रही है. हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं और एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

गौरतलब है कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोगों को सैन्य, राजनयिक और मानवीय सहायता प्रदान की. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया.

बता दें कि यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के राजनीतिक वापसी की चर्चा जोर पकड़ रही है.

1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र कर पीएम मोदी ने बांग्लादेश को संदेश दिया है कि बांग्लादेश के निर्माण में भारत का रोल दोनों देशों के बीच रिश्तों का रेफरेंस प्वाइंट है.

गौरतलब है कि शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद बांग्लादेश के नए शासन ने भारत से टकराव वाला रुख अपनाया है. लेकिन भारत पर कई चीजों के लिए निर्भर रहने वाला बांग्लादेश अब घुटनों पर आ रहा है.

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा जताई है और इस बाबत भारत को अपना संदेश भेजा है. चर्चाएं हैं कि बैंकॉक में 3-4 अप्रैल को होने वाले बिमस्टेक शिखर सम्मेलन के दौरान यूनुस प्रधानमंत्री मोदी से मिल सकते हैं.

लेकिन पीएम मोदी मोहम्मद यूनुस से मिलेंगे या नहीं इस मुद्दे पर नई दिल्ली ने अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.  

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले एक संसदीय समिति को बताया था कि बांग्लादेश के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है.

सरकारी सूत्रों ने  बताया कि कार्यक्रम के दौरान मोदी की द्विपक्षीय बैठकों की घोषणा बाद में की जाएगी.

बता दें कि शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश बॉर्डर पर भारत की ओर से किए जा रहे बाड़ेबंदी, बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा समेत अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर ढाका का व्यवहार लीक से हटकर और भारत की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा है. इसलिए भारत बांग्लादेश के साथ रिश्तों को आगे ले जाने पर सतर्क रहा है. 

India Edge News Desk

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